Thursday, October 13, 2016

हमें वर्तमान व्यवस्था से चाहे जितनी भी शिकायत हो लेकिन कानून और देश के संविधान के अधीन तो चलना ही पड़ेगा.
मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस कर्णन ने कानून के खिलाफ जा कर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को 5 साल की सजा सुना दी और कोर्ट की अवमानना की. आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने इन जज महोदय को, जो 11जून को रिटायर होने वाले हैं, 6 माह की सज़ा सुना दी. अब जज साहब फरार हैं और पुलिस उन्हें ढूँढ़ रही है.
इसी तरह हमारे एक नेता अरविन्द केजरीवाल है, जो स्वयं को उपराज्यपाल से ऊपर समझते हैं और उन
के अधिकार को चुनौती देते रहते हैं. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर हार जाने के बाद भी देश में ये भ्रम फैलाते हैं कि हमारी जनता की चुनी हुई सरकार को उप राज्यपाल काम नहीं करने दे रहे हैं और यही आरोप प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगाते हैं.
आरोप लगाना और भाग जाना,अपनी तारीफ़ खुद करना, आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए विज्ञापनों पर जनता का पैसा खर्च करना इनकी फितरत है.
भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने के नाम पर राजनीति में उतरे केजरीवाल खुद के मत्रियों के भ्रष्टाचार में पकडे जाने और एक बाद पंजाब, गोआ और दिल्ली का चुनाव जाने के बाद जब जनता को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे तो अब चुनाव आयोग पर जाल साजी और हेरा फेरी का आरोप लगा कर प्रजातंत्र की एक संवैधानिक संस्था पर प्रहार कर रहे हैं.
 देश की सबसे ईमानदार पार्टी के सबसे ईमानदार नेता होने का दावा करने वाले नेता, मानहानि का मुकदमा लगने पर वकील को चार करोड़ की फीस सरकारी खजाने से देकर खुद को पाक साफ़ साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.
अब जब कूद के मंत्री द्वारा दो करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप लगने पर बजाय उस की जांच करवाने के EVM मशीन पर सवाल खडे कर के अपने ऊपर लगे आरोपों से जनता का ध्यान भटकाने की शातिराना कोशिश में लगे हैं.
लेकिन जनता सब समझती है और बार बार इनके झांसे में आने वाली नहीं है.
चुनाव आयोग जो कि एक संवैधानिक संस्था है उस के खिलाफ मुहीम चला कर ये देश में अराजकता फैलाना चाहते हैं.
 लेकिन केजरीवाल को ये समझ लेना चाहिए कि देश के कानून और संविधान की अवमानना करने पर उनका हाल भी वही हो सकता है जो जस्टिस कर्णन का हो रहा है.

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